व्यावसायिक अर्थशास्त्र अथवा प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र की प्रकृति आदर्श विज्ञान एवं कला दोनों

   व्यावसायिक अर्थशास्त्र अथवा प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र
की प्रकृति आदर्श विज्ञान एवं कला दोनों
(Nature of Managerial Economics/Business Economics)
(Both Adarsh Science and Art.)
प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र की विशेषताओं और व्यावसायिक प्रबन्ध में उसके उपयोग का विश्लेषण करने के पश्चात् उसकी प्रकृति का ज्ञान सरल हो जाता है। इस नवोदित विषय में आर्थिक सिद्धान्तों का व्यावहारिक उपयोग प्रबन्धकीय निर्णय, भावी नियोजन और समस्याओं के समाधान में किया जाता है, अतः इसे कला एवं विज्ञान का एक आदर्श मिश्रण माना जाता है। प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र की प्रकृति ज्ञात करने के लिये यह जानना जरूरी है कि यह विज्ञान है या कला या दोनों ही है।
विज्ञान के रूप में व्यावसायिक अथवा प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र क्रमबद्ध ज्ञान को विज्ञान कहा जाता है जिसमें नियम प्रतिपादित किये जा सकते हैं, नियमों की सत्यता जाँची जा सकती है; भविष्यवाणी की जा सकती है। इस परिप्रेक्ष्य में परखने पर प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र भी विज्ञान ही लगता है, क्योंकि इसके भी नियम एवं सिद्धान्त हैं, इन सिद्धान्तों की सत्यता की खोज की जाती है और यह क्रमबद्ध ज्ञान होने के साथ-साथ भविष्यवाणी के लिये उपयुक्त है। • व्यावसायिक/प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र आदर्श अर्थशास्त्र का अंग है-वास्तविक विज्ञान तो कारण एवं परिणाम की निरपेक्ष व्याख्या करता है-'क्या है जबकि आदर्श विज्ञान क्या है और क्या होना चाहिये' के बीच सेतु-बन्ध का कार्य करता है। इस दृष्टि से प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र केवल व्यावसायिक फर्मों की क्रियाओं, घटनाओं एवं समस्याओं का सैद्धान्तिक विश्लेषण ही नहीं करता वरन् उनके व्यावहारिक हल ढूँढ़ता है। अतः प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र की प्रकृति वर्णात्मक (Descriptive) न होकर निर्देशात्मक (Perspective) है। इसमें साधनों के अध्ययन की अपेक्षा साध्यों को महत्त्वपूर्ण माना जाता है। व्यावसायिक प्रबन्धक वस्तुस्थिति का अध्ययन कर आदर्श निर्णय लेता है ताकि फर्म के लाभ अधिकतमकरण के अन्तिम उद्देश्य की पूर्ति हो सके। यह सैद्धान्तिक विवेचना की अपेक्षा नीति निर्धारण की अधिक महत्त्व देता है, अतः यह आदर्श एवं नीति प्रधान विज्ञान है।
व्यावसायिक/प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र कला भी है-किसी कार्य को सर्वोत्तम ढंग से करने की क्रिया कला कहलाती है। इस परिप्रेक्ष्य में देखने पर प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र में भी कला के गुणों का समावेश नजर आता है। व्यावसायिक प्रबन्धक फर्म का संचालन अनेक आन्तरिक एवं साहस अनिश्चितताओं के बीच करता है। वह वैकल्पिक प्रयोग वाले सीमित साधनों में से केवल उन साधनों को चुनता है जो मितव्ययतापूर्ण ही नहीं, परिस्थितियों के अनुकूल भी हैं। उत्पादन एवं वितरण की वैकल्पिक विधियों में से भी सर्वोत्तम का चयन करता है। वह अनिश्चितताओं और अस्थिरता के अथाह सागर को पार करने के लिए भावी नियोजन एवं उचित निर्णयों की प्रक्रिया का सृजनकर्ता कलाकार है।
उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट हो जाता है कि प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र फर्म के सिद्धान्त से सम्बन्धित होने के कारण व्यष्टि अर्थशास्त्र का एक अंग है। जहाँ एक ओर यह आदर्श विज्ञान है वहाँ दूसरी ओर कला भी है, अतः प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र में विज्ञान और कला का अजीब मिश्रण होने के कारण इसे वैज्ञानिक कला की संज्ञा दी जाती है। यह आदर्श विज्ञान और कला दोनों हैं।

व्यावसायिक अर्थशास्त्र अथवा प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र की प्रकृति आदर्श विज्ञान एवं कला दोनों     व्यावसायिक अर्थशास्त्र अथवा प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र                     की   प्रकृति     आदर्श विज्ञान एवं कला दोनों Reviewed by Unknown on अगस्त 24, 2018 Rating: 5

कोई टिप्पणी नहीं:

Blogger द्वारा संचालित.