अध्याय-1 व्यावसायिक अर्थशास्त्र की परिभाषा :
व्यावसायिक निर्णयों में भूमिका
(Definition of Business Economics :
Role in Business Decisions)
विकास की प्रारम्भिक अवस्था में व्यवसाय एवं उद्योगों का आकार छोटा, प्रबन्ध सरल एवं समस्याएँ सीमित थीं, अतः व्यवसायों में व्यावहारिक आर्थिक सिद्धान्तों का प्रयोग नगण्य था, किन्तु आजकल व्यवसायी के निरन्तर बढ़ते आकार और प्रबन्ध की जटिलताओं के कारण व्यवसायों की प्रबन्धकीय समस्याओं के विश्लेषण एवं समाधान में व्यावसायिक अर्थशास्त्र का प्रयोग काफी लोकप्रिय है।'
व्यावसायिक अर्थशास्त्र अथवा प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र का अर्थ एवं परिभाषाएँ (Meaning and Definitions of Business Economics or Managerial Economics)-व्यावसायिक अर्थशास्त्र का अभिप्राय व्यावहारिक अर्थशास्त्र की उस शाखा से है जिसके अन्तर्गत व्यावसायिक संगठनों एवं उद्योगों की प्रबन्धकीय समस्याओं के विश्लेषण एवं समाधान के लिये आर्थिक सिद्धान्तों एवं अवधारणाओं का व्यावहारिक प्रयोग किया जाता है।
इसे हम व्यावसायिक समस्याओं के समाधान, भावी नियोजन एवं प्रबन्धकीय
निर्णयों में प्रयुक्त होने वाला अर्थशास्त्र भी कहते हैं। दूसरे शब्दों में
व्यावसायिक
अर्थशास्त्र (Business Economics), अर्थशास्त्र की वह विशिष्ट शाखा है जो
निरपेक्ष
सिद्धान्तों और प्रबन्धकीय व्यवहारों के बीच अन्तराल को पाटने में पुल का
काम करता है।''
व्यावसायिक अर्थशास्त्र, व्यावसायिक व्यवहारों एवं आर्थिक सिद्धान्तों का
एक
ऐसा उद्देश्यपूर्ण एकीकरण है जिससे प्रबन्धकों को निर्णय लेने तथा भावी योजनाएँ
बनाने में मदद मिलती है।'' इसकी कुछ प्रमुख परिभाषाएँ जिनमें विद्वानों ने
व्यावसायिक
अर्थशास्त्र के बजाय प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र (Managerial Economics) शब्दों का प्रयोग किया है।
सरल शब्दों में प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र व्यावहारिक अर्थशास्त्र की वह शाखा है जिसवे अन्तर्गत
व्यावसायिक संगठनों एवं उद्योगों की प्रबन्धकीय समस्याओं के समाधान एवं भावी नियोजन निर्णयों
के लिये आर्थिक विश्लेषण के उपकरणों, सिद्धान्तों एवं धारणाओं का व्यावहारिक प्रयो किया जाता है।''
प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र के अर्थ को सही-सही समझने के लिये निम्न परिभाषाओं में विश्लेषण उपयोगी है
हैन्स (W.W. Haynes) के अनुसार, “प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र व्यावसायिक निर्णयों में प्रय होने वाला अर्थशास्त्र है। यह अर्थशास्त्र की वह विशिष्ट शाखा है जो निरपेक्ष सिद्धान्तों के और प्रबन्धकीय व्यवहारों के बीच अन्तराल को पाटने में पुल का काम करती है। यह समस्याओं के स्पष्टीकरण, सूचनाओं के संगठन एवं मूल्यांकन तथा वैकल्पिक कार्य-पद्धतियों की तुलना में आर्थिक विश्लेषण के उपकरणों के प्रयोग पर बल देती है।''
हैन्स की इसे परिभाषा में प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र को अर्थशास्त्र की एक विशिष्ट शाखा माना है।
जिसके अन्तर्गत आर्थिक विश्लेषण के उपकरणों के द्वारा आर्थिक समस्याओं के समाधान का हल
ढूंढा जाता है और उपयुक्त प्रबन्धकीय निर्णय लिये जाते हैं।
स्पेन्सर तथा सीगल मैन (Spencer & Siegelmen) के शब्दों में, “प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र आर्थिक सिद्धान्तों तथा व्यावसायिक व्यवहारों का एक ऐसा उद्देश्यपूर्ण एकीकरण है जिससे प्रबन्धक को निर्णय लेने तथा भावी योजनाएँ बनाने में सुविधा होती है।'
जोयल डीन (Joel Dean) के अनुसार, “प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र का उद्देश्य यह बताना है कि व्यावसायिक नीतियों के निर्धारण में आर्थिक विश्लेषण का उपयोग कैसे हो सकता है।''3
मेकनेयर एवं मेरीयम (McNair & Meriam) ने बहुत ही सरल शब्दों में प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र को परिभाषित किया है। उनके अनुसार, प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र के अन्तर्गत व्यावसायिक परिस्थितियों के विश्लेषण के लिये अर्थशास्त्रीय विचार पद्धतियों का उपयोग किया जाता है।
बैट्स एवं पार्किन्सन ने व्यावसायिक अर्थशास्त्र को कर्मों के आचरण का सैद्धान्तिक एवं व्यावहारिक अध्ययन माना है।'' जबकि जोसेफ एल. मेसी ने प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र को व्याक्सायिक निर्णयों की प्रक्रिया में उपयुक्त उपकरण माना है।
प्रो. बामोल के मतानुसार ‘प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र, अर्थशास्त्र की वह विशिष्ट शाखा है जिसमें फर्म के आचरण का विश्लेषण आर्थिक धारणाओं के आधार पर कार्यात्मक अनुसन्धान में प्रयुक्त विधियों की सहायता से किया जाता है ताकि सम्यक निर्णय लिया जा सके।" ।
अध्याय-1 व्यावसायिक अर्थशास्त्र की परिभाषा :
व्यावसायिक निर्णयों में भूमिका
(Definition of Business Economics :
Role in Business Decisions)
विकास की प्रारम्भिक अवस्था में व्यवसाय एवं उद्योगों का आकार छोटा, प्रबन्ध सरल एवं समस्याएँ सीमित थीं, अतः व्यवसायों में व्यावहारिक आर्थिक सिद्धान्तों का प्रयोग नगण्य था, किन्तु आजकल व्यवसायी के निरन्तर बढ़ते आकार और प्रबन्ध की जटिलताओं के कारण व्यवसायों की प्रबन्धकीय समस्याओं के विश्लेषण एवं समाधान में व्यावसायिक अर्थशास्त्र का प्रयोग काफी लोकप्रिय है।'
व्यावसायिक अर्थशास्त्र अथवा प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र का अर्थ एवं परिभाषाएँ (Meaning and Definitions of Business Economics or Managerial Economics)-व्यावसायिक अर्थशास्त्र का अभिप्राय व्यावहारिक अर्थशास्त्र की उस शाखा से है जिसके अन्तर्गत व्यावसायिक संगठनों एवं उद्योगों की प्रबन्धकीय समस्याओं के विश्लेषण एवं समाधान के लिये आर्थिक सिद्धान्तों एवं अवधारणाओं का व्यावहारिक प्रयोग किया जाता है।
इसे हम व्यावसायिक समस्याओं के समाधान, भावी नियोजन एवं प्रबन्धकीय
निर्णयों में प्रयुक्त होने वाला अर्थशास्त्र भी कहते हैं। दूसरे शब्दों में
व्यावसायिक
अर्थशास्त्र (Business Economics), अर्थशास्त्र की वह विशिष्ट शाखा है जो
निरपेक्ष
सिद्धान्तों और प्रबन्धकीय व्यवहारों के बीच अन्तराल को पाटने में पुल का
काम करता है।''
व्यावसायिक अर्थशास्त्र, व्यावसायिक व्यवहारों एवं आर्थिक सिद्धान्तों का
एक
ऐसा उद्देश्यपूर्ण एकीकरण है जिससे प्रबन्धकों को निर्णय लेने तथा भावी योजनाएँ
बनाने में मदद मिलती है।'' इसकी कुछ प्रमुख परिभाषाएँ जिनमें विद्वानों ने
व्यावसायिक
अर्थशास्त्र के बजाय प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र (Managerial Economics) शब्दों का प्रयोग किया है।
सरल शब्दों में प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र व्यावहारिक अर्थशास्त्र की वह शाखा है जिसवे अन्तर्गत
व्यावसायिक संगठनों एवं उद्योगों की प्रबन्धकीय समस्याओं के समाधान एवं भावी नियोजन निर्णयों
के लिये आर्थिक विश्लेषण के उपकरणों, सिद्धान्तों एवं धारणाओं का व्यावहारिक प्रयो किया जाता है।''
प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र के अर्थ को सही-सही समझने के लिये निम्न परिभाषाओं में विश्लेषण उपयोगी है
हैन्स (W.W. Haynes) के अनुसार, “प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र व्यावसायिक निर्णयों में प्रय होने वाला अर्थशास्त्र है। यह अर्थशास्त्र की वह विशिष्ट शाखा है जो निरपेक्ष सिद्धान्तों के और प्रबन्धकीय व्यवहारों के बीच अन्तराल को पाटने में पुल का काम करती है। यह समस्याओं के स्पष्टीकरण, सूचनाओं के संगठन एवं मूल्यांकन तथा वैकल्पिक कार्य-पद्धतियों की तुलना में आर्थिक विश्लेषण के उपकरणों के प्रयोग पर बल देती है।''
हैन्स की इसे परिभाषा में प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र को अर्थशास्त्र की एक विशिष्ट शाखा माना है।
जिसके अन्तर्गत आर्थिक विश्लेषण के उपकरणों के द्वारा आर्थिक समस्याओं के समाधान का हल
ढूंढा जाता है और उपयुक्त प्रबन्धकीय निर्णय लिये जाते हैं।
स्पेन्सर तथा सीगल मैन (Spencer & Siegelmen) के शब्दों में, “प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र आर्थिक सिद्धान्तों तथा व्यावसायिक व्यवहारों का एक ऐसा उद्देश्यपूर्ण एकीकरण है जिससे प्रबन्धक को निर्णय लेने तथा भावी योजनाएँ बनाने में सुविधा होती है।'
जोयल डीन (Joel Dean) के अनुसार, “प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र का उद्देश्य यह बताना है कि व्यावसायिक नीतियों के निर्धारण में आर्थिक विश्लेषण का उपयोग कैसे हो सकता है।''3
मेकनेयर एवं मेरीयम (McNair & Meriam) ने बहुत ही सरल शब्दों में प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र को परिभाषित किया है। उनके अनुसार, प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र के अन्तर्गत व्यावसायिक परिस्थितियों के विश्लेषण के लिये अर्थशास्त्रीय विचार पद्धतियों का उपयोग किया जाता है।
बैट्स एवं पार्किन्सन ने व्यावसायिक अर्थशास्त्र को कर्मों के आचरण का सैद्धान्तिक एवं व्यावहारिक अध्ययन माना है।'' जबकि जोसेफ एल. मेसी ने प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र को व्याक्सायिक निर्णयों की प्रक्रिया में उपयुक्त उपकरण माना है।
प्रो. बामोल के मतानुसार ‘प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र, अर्थशास्त्र की वह विशिष्ट शाखा है जिसमें फर्म के आचरण का विश्लेषण आर्थिक धारणाओं के आधार पर कार्यात्मक अनुसन्धान में प्रयुक्त विधियों की सहायता से किया जाता है ताकि सम्यक निर्णय लिया जा सके।" ।
व्यावसायिक अर्थशास्त्र की परिभाषा : व्यावसायिक निर्णयों में भूमिका
Reviewed by Unknown
on
अगस्त 24, 2018
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